Vishal Srivastav who turned to a singer from an auto driver
ऑटो ड्राईवर से बॉलीवुड: “फिल्मों के जैसी है सिंगर विशाल श्रीवास्तव की कहानी”
कहते है ना अगर किसी के दिल में सच्चे मन से कुछ करने का जुनुन सवार हो तो वह कुछ भी कर सकता है। फिर चाहे व फुटपाथ पर सोने वाला आम आदमी, एक ढाबे में काम करने वाला एक लड़का और एक ऑटोरिक्शा चलाने वाला एक पति और पिता।
विशाल श्रीवास्तव, एक ऐसा नाम जिसने वाकई में इन परिस्थितियों को बेहद करीब से देखा है। बॉलीवुड के जाने माने सिंगर विशाल श्रीवास्तव का जन्म दिल्ली के आजादपुर में हुआ था। उनकी 8 महीनें की छोटी सी उम्रमें ही उनका माँ का देहांत हो गया! उनके पिता ने छोटे बच्चे के लालन-पोषण के लिए दूसरी शादी की. परिष्ठितियान्न कुछ ऐसी बनी कि उन्हें9 वर्ष की उम्र मेंघर छोड़ना पड़ा इस प्रकार 9 वर्ष के इन मासूम से पुस्तक पकड़ने वाले हाथों ने ढाबे पर चाय का काम पकड़ लिया जिसके बदले में उन्हें सिर्फ एक चाय और एक ब्रेड मिला करता था।
इस प्रकार इस मासूम बच्चे को लोगो के झूठन से तक पेट भरना पड़ता था , कभी कभी वह भूखे ही सो जाया करते थे। चाय की दुकान में काम करने के बाद उन्होंनेछोटी सी उम्र में ही साइकिल रिक्शा चलाना सीखा। दिन को लाल बाघ की झुग्गियों में रिक्शा चलाने के साथ-साथ वहीं पहाड़ी अंकल के ढाबे में बर्तन धोने का काम करके अपना पेट भरा करते थे। वेरात को ढाबे के काम से फ्री होने के बाद पास में ही एक अंकल का ऑटो धोने के बाद अंकल से ही ऑटोरिक्शा चलाना सीखते थे। इतना ही नही उन्होंनेसब्जी, फल बसो में किताबे पेन बेचने का भी काम किया।
परिस्थितियाँ उन्हें बाँधने की अत्यंत कोशिश करती लेकिन जैसा कि कहा जाता है न कि अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती हैं, और फिर विशाल श्रीवास्तव की चाहतों में तो कही न कही सुकर्म छिपे थे , जैसा कि उनकी एक ख़ास तमन्ना थी कि उनकी वाइफ को टीचर बनाने की और बेहद कठिनाइयों से जूझते हुए आज विशाल श्रीवास्तव ने बॉलीवुड में अपनी एक प्लेबैक सिंगर के रूप में छबि बनायीं हैं। विशाल जी एक अच्छे सिंगर होने के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी हैं ।
विशाल से संगीत की प्रेरणा क बारे में पूछने पर वह बताते हैं की वह बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध महान गायक कुमार शानू के बचपन से ही बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं और उन्हें संगीत की प्रेरणा भी शानू दा के गानों से मिली। वे बताते हैं कि कह बचपन में शानू दा के गानों को सुनकर ही गाने का प्रयत्न किया करते थे, साथ ही विशाल श्रीवास्तव का सपना है कि जिंदगी में एक बार वह अपने आदर्श महान गायक कुमार शानू से रूबरू हों।
ज्ञात है कि विशाल श्रीवास्तव की बचपन में आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनकी शिक्षा नहीं हो पायी। उन्होंने बताया की उन्होंने कानपूर से निकलकर मैनपुरी के एक छोटे से गाँव मंछना से सिर्फ 2-4 कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त की और आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें शिक्षा छोड़कर बचपन में ही मजदूरी करनी पड़ी।
विशाल जी कहते हैं कि जिनको शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है वह बहुत खुशनसीब हैं और उनसे मेरा सिर्फ यही कहना की मन लगाकर शिक्षा प्राप्त करे किन्तु जिनको ये अवसर नहीं मिल पाया हैं वह कभी हिम्मत न हारें, बस अपने अन्दर छिपे हुए हुनर को कभी मरने न दें, फिर चाहे वह जिंदगी का आखिरी पड़ाव ही क्यों न हो. मेहनत करते रहे, एक न एक दिन सफलता जरुर आपके कदम चूमेगी।
विशाल जी हम आपकी भावनाओं की कद्र करते हैं और आपके स्वर्णिम भविष्य के लिए ईश्वर से कामना करते हैं।