Actor Samarth Chaturvedi – Interesting Jouney From Hero To Villain
नायक से खलनायक तक का सफर बहुत ही दिलचस्प है समर्थ चतुर्वेदी का
फिल्म जगत का एक ऐसा नायब हीरा, जिसने फर्श से अर्श तक सफर कंकड़ी व पथरीली राहों को शबनम सी नम्र बनाते हुए तय किया है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं हरफनमौला अभिनेता समर्थ चतुर्वेदी की, जिन्होंने अपना फिल्मी करियर की शुरुआत बतौर हीरो छत्तीसगढ़ी फिल्म से की। तदोपरांत भोजपुरी सिनेमा की ओर रुख किये और बतौर हीरो कई फिल्में देने के साथ साथ अब वे अपना मुकम्मल स्थान बना चुके हैं। उन्होंने अपने आपको ऐसा तराशा है कि आज वे हर किरदार में सहज ही ढल जाते हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में 10 मई को जन्में समर्थ चतुर्वेदी ने भोपाल में रहकर 16 साल तक रंगमंच किया और अभिनय बारीकियाँ सीखी। रंगमंच में उनके गुरु श्री के जी त्रिवेदी, आलोक चटर्जी, सत्यव्रत रावत, विभा मिश्रा, जयंत देशमुख, अनूप जोशी रहें हैं। रंगमंच के कलाकार होने की वजह से ही वे किसी भी किरदार को जान फूंक देते हैं। उन्होंने अब तक जितनी भी फिल्में की है, सबमें उनकी भूमिका काफी असरदार रही है। उन्हें 2010 में मध्य प्रदेश शासन के सांस्कृतिक मंत्री के हाथों से ’मध्य प्रदेश गौरव’ सम्मान से सम्मानित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि समर्थ चतुर्वेदी ने फिल्मी सफर की शुरुआत सन 2001 में बतौर हीरो छत्तीसगढ़ी फिल्म ’परदेशी के मया’ से की, वह वहाँ की सुपर डुपर हिट फिल्म रही है। छत्तीसगढ़ की लता मंगेशकर कही जाने वाली ममता चंद्राकर के पति प्रेम चंद्राकर फिल्म के निर्देशक थे। मुंबई आने पर समर्थ ने 2004 में पहली भोजपुरी फिल्म ’बलमा बड़ा नादान’ की, जिसमें उनकी नायिका थी दिव्या देसाई (जिन्हें अब रश्मि देसाई के नाम जाना जाता है)। इस फिल्म के निर्देशक भोजपुरी के सुपरस्टार और हिन्दी सिनेमा के जाने माने कलाकार सुजीत कुमार थे। इसके बाद 2005 में फिल्म ’गंगा मइया तोहे चुनरी चढाईबो’ आई, नायिका थी रानी चटर्जी। उसी साल उनकी फिल्म ’गोधन’ भी रिलीज हुई, जिसमे उनकी नायिका सीमा पांडेय थी। 2005 में ही उनकी फिल्म ’पिया पिया बोले जिया’ बनी थी, जो प्रदर्शित नहीं हो पाई। 2006 में उनकी तीन फिल्म प्रदर्शित हुई ’होगी प्यार के जीत’ जिसमें नायिका चाँदनी चोपड़ा, ’नचनिया एक तमाशा’ नायिका गुजंन कपूर तथा ’गजब भइल रामा’ जिसमें नायिका रश्मि देसाई थी और साथ में हिन्दी फिल्मों के जानेमाने कलाकार ’राहुल रॉय’ थे। 2007 में उनकी तीन फिल्म प्रदर्शित हुई ’रक्षाबंधन’ जिसमें नायिका थी सीमा मालिक, ’जय संतोषी माता’ नायिका प्रीती जैन तथा ’भइल प्यार नचनिया से’ जिसमें नायिका चाँदनी चोपड़ा थी। इतना ही नहीं समर्थ चतुर्वेदी ने भोजपुरी सिनेमा के साथ-साथ हिन्दी फिल्में भी की हैं।
2007 में हिन्दी फिल्म ’कॉकटेल द डेडली कॉम्बिनेशन’, 2013 में ’जिन्दगी जलेबी’, 2015 में दो फिल्म ’डांस दोस्ती और प्यार’, तथा ’सीडी कांड’ रिलीज हुई थी। उन्होंने हिन्दी फिल्म सहित लगभग 70 से अधिक भोजपुरी फिल्मों में अभिनय किया है। सिनेमा के रुपहले परदे के साथ-साथ छोटा परदा टेलीविजन में भी उन्होंने काम किया है। ’ई टीवी मध्यप्रदेश’ टीवी चैनल पर प्रसारित 2 साल (2001- 03) तक एक प्रोग्राम किया जिसका नाम था ’जनता एक्सप्रेस’। ’दूरदर्शन’ का धारावाहिक ’अधूरा बंधन’, ’मुआवजा’, ’दूर किनारे मिलते हैं’, ’कलर्स’ टीवी चैनल का धारावाहिक बालिका वधू’ में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वक्त के नये दौर के साथ चलते हुए समर्थ चतुर्वेदी ने अपने आपको सिने जगत में नये रूप में पेश किया और वह रूप था खलनायकी का। सन 2011 में फिल्म निर्देशक शाद कुमार निर्देशित भोजपुरी फिल्म ’त्रिनेत्र’ से बतौर खलनायक एक नये सफर का आगाज हुआ। इसके बाद ’बीवी नम्बर 1, लाल दुप्पटा मल मल का, टाईगर, संसार, तेरी कसम, बनारस वाली, धरती के लाल करेला कमाल, बेताब, राजा बाबू , बम बम बोल रहा हैं काशी, दरोगा बबुनी, प्रेम के दुश्मन, निरहुआ हिन्दुस्तानी 2’ आदि कई भोजपुरी फिल्मों में अलग-अलग रूप में अवतरित हुए हैं। उनकी आने वाली भोजपुरी फिल्में दुल्हन गंगा पार के, घूँघट में घोटाला, आर पार के माला चढ़ईबो गंगा मईया, अग्नि साक्षी, धर्म युद्ध आदि हैं, इसके अलावा जल्द ही वे हार्डकोर विलेन के रूप में एक मेगा बजट की भोजपुरी फिल्म में भी नजर आने वाले हैं। —Uday Bhagat (PRO)